जीवन में निरंतर सत्संग करते रहने से जब मनुष्य को परमात्मा का ज्ञान-विज्ञान यथार्थ रूप से समझ में आ जाता है, तभी मनुष्य के मन में परमात्मा से प्रभावित होकर भौतिक विषयों के प्रति सहज ही ज्ञानपूर्वक वैराग्य की स्थिति उत्पन्न होती है और परमात्मा से प्रीती होने लगती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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