सभी संसारी मनुष्य आज नहीं तो कल, इस बात को स्वीकार कर ही लेते हैं, कि संसार के विषय-भोगों को चखना तो बहुत आसान है, जबकि इनसे छूट पाना बहुत ही कठिन है, लेकिन फिर भी निरंतर सत्संग करते रहने से इन विषय-भोगों से क्रमश: वैराग्य होना संभव होने लगता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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