व्यवहार में ऐसा देखा जाता है कि अघिकांश कलयुगी मनुष्यों में परमात्मा के बारे में जानने की कोई जिज्ञासा नहीं होती। हाँ, ऐसे मनुष्यों की विषय-भोगों को भोगने की रूचि तो बनी रहती है, फलस्वरूप ऐसे मनुष्य सत्संग भले ही करते हुए दिखाई तो देते हैं, लेकिन ?.....सुधीर भाटिया फकीर
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