एक साधारण मनुष्य अक्सर मृत्यु पर बात करने से डरता भी है और बचता भी है, जबकि मृत्यु एक निश्चित धटना है, जिसे स्वीकार किए बिना तो निष्काम कर्म शुरु ही नहीं होते, जो आध्यत्मिक यात्रा की शुरुआत हैं, तब ऐसी स्थिति में भगवान की भक्ति होना तो बहुत ही दूर की बात है.....सुधीर भाटिया फकीर
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