शास्त्रों में मन को ही बन्धन व मोक्ष का प्रमुख कारण कहा गया है। इसलिए सभी मनुष्यों को सत्संग सदा ही श्रद्धापूर्वक करना होगा, यदि कानों के साथ मन सुनता ही नहीं और मन विषय-भोगों की स्मृति में ही धूमता रहता है, तब ऐसी स्थिति में सत्सँग से हमें कोई लाभ हो नहीं पाता, इसीलिए हमारे स्वभाव या दिनचर्या में कोई सकारात्मक परिवर्तन नहीं आता.....सुधीर भाटिया फकीर
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