हम सभी मनुष्यों को मिले हुए एकांत समय का स्वयं के चिन्तन यानी जन्म-मरण पर सकारात्मक मंथन करते रहना चाहिए, ताकि परमात्मा की याद आये, अन्यथा अधिकांश मनुष्यों द्वारा भौतिक विषयों पर ही विचार-विमर्श होता रहता है, जो अन्तत: मनुष्य को परमात्मा से ही विमुख करते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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