अक्सर एक साधारण मनुष्य को पाप-कर्म छुड़वाने के लिए ही पुण्य-कर्म करने की एक शिक्षा दी जाती है, जबकि पाप-कर्म और पुण्य-कर्म दोनों ही बार-बार के जन्मों का कारण माने गये है। केवल निष्काम भाव से कर्म होने से ही हमारी आध्यात्मिक यात्रा में उन्नति होती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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