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सन्ध्या-बेला सन्देश

अनुशासित व व्यवस्थित दिनचर्या निरन्तर जीवन में बनी रहने से ही सात्विक अन्तकरण/स्वभाव बनता है, जो रजोगुण के आकर्षणों को मर्यादा में रखते हुए मनुष्य को तमोगुण में गिरने से अवश्य ही बचाता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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