मनुष्य योनि कर्मयोनि है, जहाँ केवल मनुष्य के स्वयं द्वारा ही किये गये पाप-पुण्य कर्म नहीं लिखे जाते, अपितु हमारे द्वारा निर्देशित कर्म, जो अन्य द्वारा भी किये जाते हैं, ऐसे सभी करवाये गये पाप-पुण्य भी हमारे ही खाते में लिख दिये जाते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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