मनुष्य योनि में ही परमात्मा को जाना-समझा व पाया जा सकता है। जिसके लिए मनुष्य को अपनी दिनचर्या में सात्विकता लाते हुए कर्मयोग व ज्ञानयोग में मजबूती लाते हुए भक्तियोग में स्थित हो परमात्मा से जुड़ना होता है, जिसके फलस्वरूप मनुष्य का जीवन सार्थक हो पाता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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