संसार में रहते हुए मनुष्य अपनी एकाग्रता यानी ध्यान जहां कहीं भी अर्थात् जिस कार्य विशेष में लगाता है, तब एक समय अंतराल के बाद वहीं का ज्ञान रूपी फल हमें प्राप्त होता है। मनुष्य योनि में ही परमात्मा का ध्यान लगाते हुए परमात्मा का आनन्द पा लेना संभव है। इसलिए मिले हुए अवसर का हम सभी मनुष्यों को अवश्य ही लाभ उठाना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर
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