Skip to main content

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

5 भोग्य-विषय इन्द्रियाँ के, इन्द्रियाँ मन के और मन को बुद्धि के क्रमश: सैद्धांतिक रूप से अधीन रखा गया है, जबकि बुद्धि की स्वभाविक स्थिति सात्विक ही होती है, लेकिन मनुष्य सत्संग के अभाव में और रजोगुण के प्रभाव से बुद्धि को क्रमश: राजसी व तामसी बना लेता है, फलस्वरूप मन, इन्द्रियाँ भी विषय भोगों की गलियों में आवारागर्दी करने से बच पाती और मनुष्य की परमात्मा से विस्मृति हो जाती है.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24