5 भोग्य-विषय इन्द्रियाँ के, इन्द्रियाँ मन के और मन को बुद्धि के क्रमश: सैद्धांतिक रूप से अधीन रखा गया है, जबकि बुद्धि की स्वभाविक स्थिति सात्विक ही होती है, लेकिन मनुष्य सत्संग के अभाव में और रजोगुण के प्रभाव से बुद्धि को क्रमश: राजसी व तामसी बना लेता है, फलस्वरूप मन, इन्द्रियाँ भी विषय भोगों की गलियों में आवारागर्दी करने से बच पाती और मनुष्य की परमात्मा से विस्मृति हो जाती है.....सुधीर भाटिया फकीर
Comments
Post a Comment