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"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

प्रकृति को द्वैत इसलिए कह दिया जाता है, क्योंकि यहाँ दो स्थितियाँ देखने को मिलती हैं, जैसे दिन के साथ रात जुड़ी है, उसी तरह से सुख के साथ दुख जुड़ा/छिपा रहता है, जो एक साधारण मनुष्य को ज्ञान के अभाव में सुख चखते समय भविष्य में मिलने वाला दुख नजर नहीं आता।
सुधीर भाटिया फकीर

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