जब-जब मनुष्य रसपूर्वक 5 भोग-विषयों का सुख भोगता है, तब-तब कारण-शरीर में इनके संस्कार मजबूत बनते जाते हैं। भले ही भोग्य पदार्थों की उपलब्घता बनी भी रहे, लेकिन भोगने वाली इन्द्रियों की सामर्थ्य सदा बनी नहीं रहती। तब...? इसपर चिन्तन करें!
सुधीर भाटिया फकीर
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