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संध्या-बेला सन्देश

सभी मनुष्यों के सकाम पाप-पुण्य कर्मों पर प्रकृति की पैनी नजर सदा बनी रहती है, लेकिन निष्काम भाव से कर्म आरम्भ होते ही हम प्रकृति की नहीं, परमात्मा की नजरों में आ जाते हैं, बस उसी क्षण ही हमारी आध्यात्मिक यात्रा आरम्भ होती है।
सुधीर भाटिया फकीर

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