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"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

कलयुग में प्राय एक साधारण मनुष्य धन प्राप्ति के लिए पुण्य-कर्म ही नहीं करता, बल्कि पाप-कर्म करने से भी नहीं हिचकता। धन मिलने की आशा में सुख का आभास तो हो सकता है, जबकि धन मिलने पर अल्पकालिक सुख ही मिलता है, दीर्घकालिक नहीं।

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