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"संध्या-बेला सन्देश"

मनुष्य योनि को एक कर्मयोनि कहा गया है। इसीलिये शास्त्रों में यह करो/विहित और यह मत करो/निषेध द्वारा विस्तार से समझाया गया है। विहित कर्म करने से सुख की और निषेध कर्म करने से भविष्य में दुख की प्राप्ति होना निश्चित है।
सुधीर भाटिया फकीर

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