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"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

5 विषय-भोगों गन्ध, रस, रुप, स्पर्श व शब्द आदि में निरन्तर चिन्तन बने रहने से यह कारण-शरीर में जाकर वासना बन जाती है, जो परमात्मा से हमारा योग होने नहीं देती अर्थात् परमात्मा से हमारी शुद्ध-भक्ति आरंभ ही नहीं हो पाती।

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