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"संध्या-बेला सन्देश"

सतोगुण अन्ततः सुख, रजोगुण अन्ततः दुख और तमोगुण मोह/अज्ञानता की स्थिति में ले आता है और अज्ञानता में पाप-कर्म सहज ही होने लगते हैं। इसलिए अज्ञानता समाप्त करने के लिए निरन्तर सत्संग करते रहना चाहिए।

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