कर्मफल सिद्धांत के अनुसार ही सभी योनियों के असंख्य जीवों को मनुष्य योनि में ही किये गये पाप-पुण्य कर्मों का फल मिलता है, जिसमें सुख रुपी फलों का त्याग तो सम्भव है, लेकिन दुख रुपी फलों को तो स्वयं ही भोगना पड़ता है।
सुधीर भाटिया फकीर
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