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"संध्या-बेला सन्देश"

कितनी साधारण सी बात शास्त्रों में कही गई है कि भगवान ही सच्चिदानंद/आनंद है, जबकि संसार/प्रकृति को दुखालय बताया गया है, फिर भी अधिकांश मनुष्य बुद्धिमान होने के बावजूद भी सँसार में ही मरते दम तक सुख ढूंढते रहते हैं!
सुधीर भाटिया फकीर

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