हम सभी भाई-बहनों को मिले हुए जन्म में परमात्मा को जानने की ही जिज्ञासा रखनी चाहिए, क्योंकि संसार को कितना भी जान लो, लेकिन जान लेने पर भी अन्ततः दुख ही मिलते हैं, जबकि परमात्मा को आशिंक रूप से जान लेने मात्र से हमारी दिनचर्या सात्विक बनने से ही हमें सुख-शान्ति मिलने लगती है।
सुधीर भाटिया फकीर
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