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"संध्या-बेला सन्देश"

मनुष्य योनि में ही सतोगुण में वृद्घि कर अपने अन्दर सात्विकता को बढ़ाया जा सकता है। सात्विकता बढ़ने से ही मनुष्य में "रजोगुण प्रतिरोधक क्षमता" बढ़ने लगती है, जो अन्तत: मनुष्य को तमोगुण में गिरने से बचाती है।

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