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"संध्या-बेला सन्देश"

जीवन में शास्त्रों को सदा पढ़ते रहना चाहिए, ताकि परमात्मा रूपी मंजिल का एहसास बना रहे। इसीलिए तो शास्त्रों को पढ़ना और गुरु की वाणी को सुनना, सत्सँग ही कहलाता है, जोकि केवल मनुष्य योनि में ही सम्भव होता है।

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