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"संध्या-बेला सन्देश"


मनुष्य के निरंतर सत्संग करते रहने से ही हमारी बुद्धि में सात्विकता बढ़ने लगती है, जो धीरे-धीरे विवेक-शक्ति को जागृत करती है। सात्विक बुद्धि ही मन को नियंत्रण में रख सकती है, राजसी/तामसी बुद्धि नहीं।

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