परमात्मा या शास्त्र हम सभी मनुष्यों को सदा धर्म मार्ग पर चलने का ही उपदेश देते हैं अर्थात् धर्म हमारे जीवन में सर्वोपरी यानी सदा प्रथम स्थान पर ही रहना चाहिए, तभी मनुष्य का अर्थ व काम मर्यादित रहते हैं। कलयुग में अर्थ/धन प्रथम स्थान पर आने से ही समस्यायें +++, जो अन्ततः हम मनुष्यों को दुख ही देती हैं।
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