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"संध्या-बेला सन्देश"

अपने जीवन में स्थूल-शरीर से सम्बंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही पुरुषार्थ करना चाहिए। इन आवश्यकताओं को कभी भी इच्छा मत बनने दो, अन्यथा यह इच्छाएं ही हमारे मन में लोभ, संग्रहवृत्ति पैदा करवा पाप-कर्म करवाने लगती हैं।

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