हर पल हमारी मृत्यु नजदीक आती जा रही है अर्थात् कर्म करने का समय निरंतर हाथ से निकलता जा रहा है, तब ऐसी स्थिति में कब हम यथार्थ ज्ञान लेंगे और कब प्रभु भक्ति आरंभ होगी ? इसपर एक साधारण मनुष्य कोई चिन्तन नहीं करता।
सुधीर भाटिया फकीर
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