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"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

सभी मनुष्यों को अपने जीवन-काल में सीमित आवश्यकतायें ही रखनी चाहिए। भाग्य/प्रारब्धवश मिले हुए सुख रुपी फलों का भी त्याग कर देना चाहिए, क्योंकि सभी अनावश्यक भोग हम मनुष्यों को क्रमशः अचेत ही करते हैं।

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