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"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

परमात्मा केवल मनुष्यों से ही नहीं, बल्कि प्रकृति के सभी असंख्य जीवों से प्रेम करते हैं, जबकि कलयुग में अधिकांश मनुष्य स्वार्थवश स्वयं से ही प्रेम करते हैं, जबकि अन्य मनुष्यों से प्रेम करते हुए केवल दिखाई ही देते हैं, पर वास्तव में करते नहीं ?

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