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"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

सभी मनुष्यों को निषेध/पाप-कर्मों से अवश्य ही बचना चाहिए। सभी प्रकार के कर्मों-विकर्मों पर प्रकृति की पैनी नजर हर क्षण बनी रहती है। सुख रुपी फलों का त्याग/दान सम्भव है, लेकिन दुख रुपी फलों को स्वयं ही भोगना पड़ता है।

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