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"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

हम सभी मनुष्य अपने जीवन काल में भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान को लेने के लिए जितना-जितना पुरूषार्थ करते हैं, फिर उतना-उतना विशेष ज्ञान हमें प्राप्त होने लगता है। ज्ञान की भी अलग-अलग कक्षायें होती हैं, जिसके कारण हम सभी मनुष्यों के कर्मों में भी विभिन्नता देखने को मिलती है।

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