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"संध्या-बेला सन्देश"

अक्सर शरीर/तन के रिश्ते जन्म के साथ ही बनते हैं और मृत्यु होने के साथ ही समाप्त हो जाते है, जबकि आत्मा का परमात्मा से नित्य एक सम्बन्ध है, जिसका टूटने का तो प्रश्न ही नहीं उठता, लेकिन भोगों में लिप्त मनुष्य अस्थाई रूप से परमात्मा को भूल जाता है।

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