मोह-ममता में बनने वाले संबंधों का आधार लाभ-हानि पर टिका होता है, जो स्थूल-शरीर से ऊपर उठने नहीं देता, इसीलिए तो संसार में रिश्ते बनते-बिगड़ते रहते हैं, जबकि आत्मा } परमात्मा का तो सजातीय संबंध है, जो लाभ-हानि से दूर केवल प्रेम के स्तर पर ही सम्भव हो पाता है।
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