Skip to main content

"ब्रह्ममुहूर्त-ज्ञान सन्देश"

तामसी प्रवृति के लोग केवल स्वयं के लिए ही जीते हैं, जबकि राजसी प्रवृत्ति वाले स्वयं + परिवार के लिए पुरूषार्थ करते हैं। केवल सात्विक प्रवृत्ति रखने वाले मनुष्य ही प्रकृति के सभी जीवों के हित के लिए यथासंभव पुरूषार्थ करते हैं। इसलिए जीवन में निरन्तर सत्संग करते हुए अपना सात्विक स्वभाव बनाना चाहिए।

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24