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"ब्रह्ममुहूर्त-ज्ञान सन्देश"

अधिकांश मनुष्यों में वृद्धावस्था आने मात्र से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से सत्संग करने में कुछ रुचि बनने लगती है, भले ही आरंभिक सत्संग बेमन से ही होता है, जो नियमित रूप से करते रहने से भी मनुष्य पाप कर्मों से तो बच ही जाता है।

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