Skip to main content

"ब्रह्ममुहूर्त-ज्ञान सन्देश"

मनुष्य योनि में ही सतोगुण में वृद्घि करते हुए हम अपने अन्तकरण में सात्विकता को बढ़ा सकते हैं। सात्विकता बढ़ने से ही मनुष्य रजोगुणी विषय-भोगों में एक मर्यादा रख पाता है, जो अन्तत: मनुष्य को तमोगुण में गिरने से भी बचाती है।

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24