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"ब्रह्ममुहूर्त-ज्ञान सन्देश"

पदार्थों (धन) को कभी भी अपने जीवन का लक्ष्य मत बनने दो, अन्यथा परमात्मा को जानने/समझने/पाने का लक्ष्य ही छूट जायेगा, क्योंकि पदार्थ/धन तामसी/राजसी हैं, तब ऐसी स्थिति में सतोगुण ही दूर रहता है, जबकि परमात्मा तो विशुद्ध सतोगुणी सत्ता है ?

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