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"ब्रह्ममुहूर्त-ज्ञान सन्देश"

कर्मफल सिद्धान्त के अनुसार कोई भी जीवात्मा केवल मनुष्य योनि में ही किए गए कर्म-फलों को ही भोग सकता है, यदि कोई मनुष्य अन्य किसी मनुष्य के सुखों को छीनता है, तो प्रकृति रुपी अदालत उसे दंड दिए बिना छोड़ती नहीं।

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