सर्वप्रथम आप सभी भाई-बहनों को "दीपावली" पर्व की बहुत-बहुत बधाई एवम शुभकामनायें। सभी पर्वों को मनाने के पीछे एक ही उद्देश्य होता है कि एक हमारे रजोगुणी/संसारी विषय-भोग मर्यादित रहें व साथ ही जीवन में सतोगुण में वृद्धि होते हुए परमात्मा की नजदीकियाँ प्राप्त हों, क्योंकि अमर्यादित सँसारी रजोगुणी भोग-विषय मनुष्य को कभी भी श्रद्धापूर्वक सत्सँग करने नहीं देते। इसलिए मनुष्य को "ब्रह्ममुहूर्त" में उठकर मन-बुद्धि द्वारा श्रद्धापूर्वक सत्सँग करते हुए अपने भीतर नैतिक मूल्यों को जगाते हुए "ज्ञान का दीपक" जलाना होगा, ताकि हमारे-आपके जीवन में "दीपावली" रूपी खुशियाँ जीवन-भर बनी रहें।
आपका आध्यात्मिक मित्र
सुधीर भाटिया फकीर
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