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Showing posts from July, 2022

चलो और चलने दो 》》यातायात - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-969)-31-07-2022

 

मनुष्य के कर्मों की स्थितियाँ:-कर्तव्य/सतो,प्रमाद/रजो,आलस्य/तमो -सुधीर भाटिया फकीर-कक्षा-968/31-7-22

 

सँसारी आकर्षण - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-967)-31-07-2022

 

जियो और जीने दो (जीवन) - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-966)-30-07-2022

 

कारण-शरीर/संस्कार, सूक्ष्म-शरीर/वृत्तियाँ, स्थूल-शरीर/इन्द्रियाँ

 

"क्रोध पर नियंत्रण"(आँधी-तूफान) - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-965)-30-07-2022

 

जीवन को नई दिशा "शब्द" - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-964)-29-07-2022

 

84,00000 योनियों का रहस्य

 

स्वयं में सत्ता - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-963)-29-07-2022

 

× रजोगुण को महत्व × [ सुधीर भाटिया फकीर-कक्षा:962]-28-07-2022

 

स्थूल-सूक्ष्म व कारण-शरीर

 

धार्मिक-कर्मकाण्ड - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-961)-28-07-2022

 

जीवन एक "उत्सव" बनायें - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-960)-27-07-2022

 

इन्सान का स्वभाव, भाग-2

 

"विवाह-बन्धन" - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-959)-27-07-2022

 

बैंक का खाता-कर्म का खाता - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-958)-26-07-2022

 

इन्सान का स्वभाव, भाग-1

 

अन्ध-विश्वास - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-957)-26-07-2022

 

गल्तियों पर चिंतन - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-956)-25-07-2022

 

प्रकृति के 3 गुणों के आने का एक निश्चित क्रम } तमोगुण } सतोगुण } रजोगुण } फिर पुन: तमोगुण

 

अज्ञानता - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-955)-25-07-2022

 

सफलता का पेड़ } सर्वकल्याण वृक्ष - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-954)-24-07-2022

 

कौन बनेगा ? } अध्यात्मवादी - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-953)-24-07-2022

 

आवश्यकता - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-952)-24-07-2022

 

अधूरा प्रयास - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-951)-23-07-2022

 

मनुष्य:- तलाक/स्थूल+सूक्ष्म शरीर, वैराग्य/कारण-शरीर - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-950)-23-07-2022

 

विवेक-शक्ति जगाओ - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-949)-23-07-2022

 

दीपक - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-948)-22-07-2022

 

"शास्त्र" } एक कुंजी - सुधीर भटिया फकीर-(कक्षा-947)-22-07-2022

 

सात्त्विक बुद्धि - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-946)-22-07-2022

 

भगवान:- आत्मा - प्रकृति } विकारी

 

"संध्या-बेला सन्देश व सूचना"

"संध्या-बेला सन्देश" प्रकृति के 3 गुण सतोगुण, रजोगुण व तमोगुण प्रतिदिन ही एक क्रम में आते हैं। सतोगुण में भगवान का चिंतन करना अन्य गुणों की तुलना में अधिक आसान होता है, लेकिन अधिकांश मनुष्य अक्सर उस समय विशेष में राजसी/तामसी नींद का सुख भोगते हैं। फलस्वरूप मनुष्यों की दिनचर्या में भी रजोगुण व तमोगुण की ही प्रधानता दिखाई देती है। सूचना: कल शाम 6 बजे " संध्या-बेला सन्देश " एक वीडियो (1-2 मिनट की) के रूप में कुछ नये सामाजिक, आर्थिक व अन्य व्यवहारिक विषयों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया जायेगा। आपका आध्यात्मिक मित्र  सुधीर भाटिया फकीर

भोग-विषयों की 5 नदियाँ - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-945)-21-07-2022

 

इंसानियत - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-944)-21-07-2022

 

संस्कारों से कर्मों की यात्रा

 

"संध्या-बेला सन्देश"

हम सभी मनुष्यों व प्रकृति के अन्य सभी जीवों के कल्याण के लिए ही कर्मफल-सिद्धांत के अन्तर्गत विहित-निषेध कर्म बताये गए हैं। विहित कर्म करने से सुख और निषेध कर्म करने से भविष्य में हमें दुख की प्राप्ति होना निश्चित है। सुधीर भाटिया फकीर 

उपदेश और सन्देश में अन्तर - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-943)-20-07-2022

 

पक्षपात रहित - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-942)-20-07-2022

 

संयोग-वियोग और त्याग

 

"संध्या-बेला सन्देश"

अपने बड़े भविष्य को सुन्दर बनाने के लिये सर्वप्रथम मनुष्य को अपनी दिनचर्या सात्विक बनानी ही होगी यानी प्रतिदिन ब्रह्ममुहुर्त में परमात्मा, आत्मा व प्रकृति सम्बंधित विषयों पर चिंतन करना चाहिए, तभी संसारी विषय-भोगों से ज्ञानपूर्वक वैराग्य जागेगा।

"आनन्द" प्राप्ति "आत्मा" का प्रथम व "अन्तिम लक्ष्य" - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-941)-19-07-2022

 

धर्म की चारदीवारी }} × सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-940)-19-07-2022

 

पुण्य-कर्मों द्वारा पाप-कर्म समाप्त नहीं होते

 

"संध्या'-बेला सन्देश"

जीवन में निरन्तर सत्संग करते रहने पर ही ज्ञान की बातें समझ में आ पाती हैं, जो हमारा संसारी भोग-विषयों के प्रति ज्ञानपूर्वक वैराग्य करवाती हैं, ताकि भगवान से सहज ही प्रीती हो।

जागृतवस्था: स्थूल/1, सूक्ष्म/10, कारण/89 =100आत्मा}}} परमात्मा - सुधीर भाटिया फकीर(कक्षा-939)18-7-22

 

नियन्त्रण/BREAK - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-938)-18-07-2022

 

भोजन की भूख ! सत्संग की भूख ?

 

"संध्या-बेला सन्देश"

भौतिक उन्नति करने में या आध्यात्मिक उन्नति करने में, दोनों ही स्थितियों में हमारी आयु धटती जाती है। भौतिक उन्नति तो मरने के साथ ही समाप्त हो जाती है, जबकि आध्यात्मिक उन्नति मरने के बाद भी सुरक्षित बनी रहती है। अब फैसला आपके हाथ में है।

संस्कार } वृत्तियाँ } पाप-कर्म, पुण्य-कर्म, निष्काम-कर्म - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-937)-17-07-2022

 

बँटवारा - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-936)-17-07-2022

 

पृष्ठभूमि पर चिन्तन

 

"संध्या-बेला सन्देश"

संसार से अलग हटकर ही परमात्मा को जाना जा सकता है, लेकिन मनुष्य संसार का मोह कभी नहीं छोड़ता और संसार में रहते हुए ही परमात्मा को जानने का प्रयास करता है, इसीलिए सफल नहीं हो पाता।

स्वस्थयता:- वात-कफ-पित्त/33%, सतो/100%, रजो/10%, तमो/1% - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-935)-16-07-2022

 

स्थूल-शरीर (F.I.R.) - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-934)-16-07-2022

 

सीमित आवश्यकतायें

 

"संध्या-बेला सन्देश"

सभी मनुष्यों के स्थूल-शरीर व 5 विषय-भोग तामसी हैं, फलस्वरूप स्थूल इन्द्रियां सत्संग रूपी लगाम के अभाव में इन विषय-भोगों को भोगने में फिसल जाती हैं, इसलिए विषय-भोगों से वैराग्य के लिए सत्संग करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।

मन-बुद्धि की रचनात्मक स्थिति:-तमोगुण/अति गौण,रजो/गौण,सतो/प्रधान-सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-933)15-7-22

 

इमारत - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-932)-15-07-2022

 

दृश्य-दृष्टा संयोग यानी दु र व

 

"संध्या-बेला सन्देश"

परमात्मा या शास्त्र हम सभी मनुष्यों को सदा धर्म मार्ग पर चलने का ही उपदेश देते हैं अर्थात् धर्म हमारे जीवन में सर्वोपरी यानी सदा प्रथम स्थान पर ही रहना चाहिए, तभी मनुष्य का अर्थ व काम मर्यादित रहते हैं। कलयुग में अर्थ/धन प्रथम स्थान पर आने से ही समस्यायें +++, जो अन्ततः हम मनुष्यों को दुख ही देती हैं।

शरीर के 5 कोष:- अन्नमयी, प्राणमयी, मनमयी, विज्ञानमयी, आनन्दमयी-सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-931)-14-7-22

 

"SUBSCRIBE-सतोगुण" - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-930)-14-07-2022

 

सैद्धान्तिक कथन- व्यवहारिक बातें

 

"संध्या-बेला सन्देश व सूचना"

हर पल हमारी मृत्यु नजदीक आती जा रही है अर्थात् कर्म करने का समय निरंतर हाथ से निकलता जा रहा है, तब ऐसी स्थिति में कब हम यथार्थ ज्ञान लेंगे और कब प्रभु भक्ति आरंभ होगी ? इसपर एक साधारण मनुष्य कोई चिन्तन नहीं करता। सुधीर भाटिया फकीर www.sudhirbhatiafakir.com कृप्या ध्यान दें प्रतिदिन सुबह-शाम के वीडियो व अन्य सन्देश निरंतर पाने के लिये मेरे WhatsApp Group, Mob. No. 9999889686 पर आध्यात्मिक ज्ञानात्मक चैनल  के आप भी सदस्य बन सकते हैं। यदि आप पहले से ही सदस्य बने हुए हैं या इन आध्यात्मिक विषयों में आपकी कोई रूचि नहीं है, तब भी आप इस सन्देश की उपेक्षा करें। धन्यवाद।

" गुरू-पूर्णिमा आभार सन्देश"

मैं स्वयं व आप सभी भाई-बहनों की ओर से अनादिकाल से आज तक के सभी आध्यात्मिक गुरू महापुरुषों को सादर प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने हम मनुष्यों को प्रकृति, आत्मा व भगवान का यथार्थ ज्ञान-विज्ञान समझा कर हमारी अज्ञानता समाप्त की।

सच और झूठ के पीछे का रहस्य - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-929)-13-07-2022

 

स्थूल-शरीर का निरीक्षण}लेबोरेटरी, मन-बुद्धि का निरीक्षण}सत्सँग-सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-928)-13-7-22

 

सुख धंटो के, दुख महीनों के

 

"संध्या-बेला सन्देश"

हम मनुष्यों द्वारा किया गया छोटे से छोटा पाप-कर्म भी परमात्मा से हमें दूर करता जाता है। इसी सूत्र को आधार मानकर हम सभी मनुष्य अपनी-अपनी स्थितियों का सही-सही आंकलन कर सकते हैं।

तमोगुण:- निषेध/पाप } चालान 》अधोगति (नीचे की 80 लाख योनियाँ)-सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-927)-12-07-2022

 

विशेष पुण्य-कर्म - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-926)-12-07-2022

 

स्थूल-शरीर की अवस्थायें :- बचपन/तमोगुण, युवा/रजोगुण, बुढापा/सतोगुण

 

"संध्या-बेला सन्देश"

मनुष्य के निरंतर सत्संग करते रहने से ही हमारी बुद्धि में सात्विकता बढ़ने लगती है, जो धीरे-धीरे विवेक-शक्ति को जागृत करती है। सात्विक बुद्धि ही मन को नियंत्रण में रख सकती है, राजसी/तामसी बुद्धि नहीं।

तमोगुणी/घुटन, रजोगुणी/रुचि, सतोगुणी/जिज्ञासा - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-925)-11-07-2022

 

साधारण पुण्य-कर्म - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-924)-11-07-2022

 

तमोगुण/अन्धकार, रजोगुण/धुन्ध, सतोगुण/प्रकाश

 

"संध्या-बेला सन्देश"

जीवन में शास्त्रों को सदा पढ़ते रहना चाहिए, ताकि परमात्मा रूपी मंजिल का एहसास बना रहे। इसीलिए तो शास्त्रों को पढ़ना और गुरु की वाणी को सुनना, सत्सँग ही कहलाता है, जोकि केवल मनुष्य योनि में ही सम्भव होता है।

जीवन } जन्म - - - स-फ-र - - - मरण - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-923)-10-07-2022

 

सत्सँग की भूख जगाओ - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-922)-10-07-2022

 

बीज से वृक्ष की यात्रा

 

"संध्या-बेला सन्देश"

शास्त्रों का यथार्थ ज्ञान समझने पर ही हमारी स्थिति ज्ञानमयी बनती है और हमारे व्यवहार में सात्विकता दिखने लगती है, जिसके फलस्वरूप मनुष्य कम से कम पाप-कर्मों से तो अवश्य ही बच जाता है और जीवन सार्थक दिशा की ओर बढ़ने लगता है।

प्रकृति एक समस्या, परमात्मा एक समाधान, फिर भी मनुष्य ? - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-921)-09-07-2022

 

परमात्मा से प्रेम यानी "SUBSCRIBE" } परमात्मा - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-920)-09-07-2022

 

स्वतन्त्र योनि - परतंत्र योनियाँ

 

"संध्या-बेला सन्देश"

अक्सर शरीर/तन के रिश्ते जन्म के साथ ही बनते हैं और मृत्यु होने के साथ ही समाप्त हो जाते है, जबकि आत्मा का परमात्मा से नित्य एक सम्बन्ध है, जिसका टूटने का तो प्रश्न ही नहीं उठता, लेकिन भोगों में लिप्त मनुष्य अस्थाई रूप से परमात्मा को भूल जाता है।

धन:-"ध" टाओ,"न" हीं, अन्यथा + पशुवृत्तियाँ - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-919)-08-07-2022

 

"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

जब एक साधारण मनुष्य अपने जीवन में 5 विषय-भोगों को अमर्यादित ढंग से रसपूर्वक भोगता रहता है, तब इन विषय-भोगों को भोगते-भोगते मनुष्य में प्रमाद आ जाता है और फिर प्रमाद ही धीरे-धीरे मोह व आलस्य को जन्म देते हैं, जो मनुष्य को श्रद्धापूर्वक सत्संग करने नहीं देते। सूचना:- कल दिनांक 9 जुलाई से, सुबह 4 बजे "ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश" एक +- 1.5 मिनट की वीडियो के रूप, जिसमें उपदेश + सन्देश + कठिन शब्दों के यथार्थ अर्थ समझाने का परमात्मा की प्रेरणा व आशीर्वाद से प्रयास करूंगा। आपका आध्यात्मिक मित्र  सुधीर भाटिया फकीर  www.sudhirbhatiafakir.com

प्रकृति(विकृति) का कार्यकाल

 

"संध्या-बेला सन्देश"

कलयुग में एक साधारण मनुष्य का सारा जीवन अपने मन में बने हुए लक्ष्य के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है, अब यदि मनुष्य का लक्ष्य ही धन कमाना बन गया है, तो ऐसी स्थिति में धर्म पीछे छूट ही जाता है।

सत्सँग-कुसंग का अपना-अपना "प्रभाव" - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-918)-07-07-2022

 

"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

हम सभी मनुष्य अपने जीवन काल में भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान को लेने के लिए जितना-जितना पुरूषार्थ करते हैं, फिर उतना-उतना विशेष ज्ञान हमें प्राप्त होने लगता है। ज्ञान की भी अलग-अलग कक्षायें होती हैं, जिसके कारण हम सभी मनुष्यों के कर्मों में भी विभिन्नता देखने को मिलती है।

मन-बुद्धि-आत्मा की विभिन्न स्थितियाँ

 

"संध्या-बेला सन्देश"

धार्मिक कर्मकांड करते रहने से भी मनुष्य का परमात्मा से जुड़ना आसान हो जाता है, यदि मनुष्य इन कर्मकांडों को ज्ञानपूर्वक करता है, अन्यथा 99% लोग इन कर्मकांडों को भय या लोभपूर्वक करते हुए यहीं रूके रहते हैं।

अनुशासित जीवन, भक्ति की आधारशिला - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-917)-06-07-2022

 

"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

सभी मनुष्यों को निषेध/पाप-कर्मों से अवश्य ही बचना चाहिए। सभी प्रकार के कर्मों-विकर्मों पर प्रकृति की पैनी नजर हर क्षण बनी रहती है। सुख रुपी फलों का त्याग/दान सम्भव है, लेकिन दुख रुपी फलों को स्वयं ही भोगना पड़ता है।

संसार, अभावों की एक दलदल

 

"संध्या-बेला सन्देश"

अपने जीवन में स्थूल-शरीर से सम्बंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही पुरुषार्थ करना चाहिए। इन आवश्यकताओं को कभी भी इच्छा मत बनने दो, अन्यथा यह इच्छाएं ही हमारे मन में लोभ, संग्रहवृत्ति पैदा करवा पाप-कर्म करवाने लगती हैं।

योग:-एकाग्र } समाधि, अन्यथा युतथान } मूढ़, क्षिप्त, विक्षिप्त - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-916)-5-7-22

 

"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

सभी मनुष्यों को अपने जीवन-काल में सीमित आवश्यकतायें ही रखनी चाहिए। भाग्य/प्रारब्धवश मिले हुए सुख रुपी फलों का भी त्याग कर देना चाहिए, क्योंकि सभी अनावश्यक भोग हम मनुष्यों को क्रमशः अचेत ही करते हैं।

आत्मा के अस्थाई 84,00000 स्थूल-शरीर

 

"संध्या-बेला सन्देश"

हम सभी भाई-बहनों को मनुष्य योनि के मिले हुए सुनहरे अवसर का लाभ उठाते हुए साधना को गति प्रदान करनी चाहिए, क्योंकि इस दिशा में की गई मेहनत कभी भी बेकार नहीं जाती।

मन एक तराजू :- भगवा..न, धन - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-915)-04-07-2022

 

""ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

हम सभी मनुष्यों को अपना जीवन सार्थक करने के लिए सर्वप्रथम अपने कर्तव्य-कर्मों को प्रसन्नतापूर्वक, ईमानदारी से निभाते हुए सदा परमात्मा का चिन्तन धन्यवाद/शुकराना रूप में ही करने का अपना स्वभाव बनाना चाहिए।

भगवान एक-रूप अनेक

 

"संध्या-बेला सन्देश"

कलयुग में प्राय ऐसा देखा गया है कि अधिकांश लोग अपने जीवन में अपने कर्त्तव्य-कर्मों का पालन नहीं करते, भले ही स्वर्ग सुखों के प्रलोभन से पुण्य-कर्म करते हैं और नरकों के भय से पाप-कर्म भी छोड़ देते हैं।

" सूचनात्मक-सन्देश"

प्रिय मित्रो,  आप सभी भाई-बहनों का मेरे "आध्यात्मिक ज्ञानात्मक चैनल" - " SudhirBhatiaFAKIR " से पिछले +3 वर्षों से जुड़े रहने का बहुत-बहुत धन्यवाद। जैसाकि आपको ज्ञात ही है कि इस चैनल पर प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त समय में भगवान, आत्मा व प्रकृति के 3 गुणों + हमारे 3 शरीरों से सम्बंधित सूक्ष्म विषयों पर बनी हुई वीडियो प्रसारित की जाती हैं, जो आजतक 914 हो चुकी हैं। अक्सर कुछ भाई-बहनों की लम्बे समय की वीडियो को लेकर या कठिन तकनीकी शब्दों को लेकर शिकायत बनी रहती थी। इन्ही सभी बातों पर गौर करते हुए परमात्मा के आशीर्वाद से अब 9 जुलाई से प्रतिदिन सुबह 4 बजे 1-2 मिनट की "ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश " के नाम से भी वीडियो प्रसारित करने का मैं प्रयास करूंगा। आपका आध्यात्मिक मित्र  सुधीर भाटिया फकीर  www.sudhirbhatiafakir.com

केवल LIKE 0%, श्रवण 1%, मनन 10%, स्मरण/100% - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-914)-03-07-2022

 

"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

परमात्मा केवल मनुष्यों से ही नहीं, बल्कि प्रकृति के सभी असंख्य जीवों से प्रेम करते हैं, जबकि कलयुग में अधिकांश मनुष्य स्वार्थवश स्वयं से ही प्रेम करते हैं, जबकि अन्य मनुष्यों से प्रेम करते हुए केवल दिखाई ही देते हैं, पर वास्तव में करते नहीं ?

एक आदर्श जीवन

 

"संध्या-बेला सन्देश"

परमात्मा एक बहुत ही गहरा विषय है, जिसे एक साधारण मनुष्य अपने पूरे जीवन-काल में भी समझ नहीं पाता और जब कुछ समझ में आने लगता है, तब जीवन लगभग समाप्ति की ओर होता है।

एक "आश्चर्य" मनुष्य स्वयं ही "दुख" खरीदता है - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-913)-02-07-2022

 

"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

परमात्मा तो हम सभी मनुष्यों को सदा ही धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा/शिक्षा देते रहते हैं, लेकिन एक साधारण मनुष्य उस ज्ञान को मात्र सुनने तक ही सीमित रखता है, उसे अपने जीवन के व्यवहार में नहीं लाता। फलस्वरूप मनुष्य के कर्मों में सुधार नहीं आ पाता।

अष्टा प्रकृति

 

"संध्या-बेला सन्देश"

शास्त्र/गुरू हम मनुष्यों को परमात्मा का आनन्द पाने का केवल रास्ता दिखाते हैं, यदि मनुष्य उन बताये गये रास्तों पर चलता ही नहीं, तब ऐसी स्थिति में मनुष्य के जीवन में कोई सुधार नहीं आ पाता।

सत्सँग बार-बार करते रहना चाहिए, "शाब्दिक ज्ञान की EXPIRY DATE" - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-912)1-7-22

 

"ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश"

एक साधारण मनुष्य संसार के 5 विषय-भोगों की वर्षा में नहाते समय अक्सर परमात्मा को भूल जाता है, जबकि दूसरी ओर दुखों का चिन्तन आने मात्र से ही परमात्मा की याद आने लगती है।