जब एक साधारण मनुष्य अपने जीवन में 5 विषय-भोगों को अमर्यादित ढंग से रसपूर्वक भोगता रहता है, तब इन विषय-भोगों को भोगते-भोगते मनुष्य में प्रमाद आ जाता है और फिर प्रमाद ही धीरे-धीरे मोह व आलस्य को जन्म देते हैं, जो मनुष्य को श्रद्धापूर्वक सत्संग करने नहीं देते। सूचना:- कल दिनांक 9 जुलाई से, सुबह 4 बजे "ब्रह्ममुहूर्त-उपदेश" एक +- 1.5 मिनट की वीडियो के रूप, जिसमें उपदेश + सन्देश + कठिन शब्दों के यथार्थ अर्थ समझाने का परमात्मा की प्रेरणा व आशीर्वाद से प्रयास करूंगा। आपका आध्यात्मिक मित्र सुधीर भाटिया फकीर www.sudhirbhatiafakir.com