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Showing posts from January, 2022

संध्या-बेला सन्देश

शास्त्रों में बार-बार इस बात को जोर दे कर कहा गया है कि मनुष्य के मन में प्रभु-प्राप्ति की इच्छा तो होनी ही चाहिए, फिर इच्छा पूर्ति के लिए प्रयत्न करना भी हमारा ही काम है, शेष सब कुछ हमें परमात्मा की कृपा पर छोड़ देना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

तमोगुण की अधिकता यानी मूढ़ता की स्थिति

 

तीव्र इच्छा का अभाव - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-761)-31-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

नीचे की योनियों के वृक्ष, कीड़े-मकोड़े, कीट-पतंगे, पक्षी व पशु आदि सभी जीव मनुष्य बनने की ओर हर पल उन्नति कर रहे हैं, लेकिन मनुष्य अज्ञानतावश भोगों के लिये ही पाप कर्म करता हुआ दोबारा से इन निकृष्ट योनियों में लौटने का अपना दुर्भाग्य स्वयं ही लिख रहा है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य योनि में ही मनुष्य को परमात्मा को जानने, समझने व पाने की पात्रता रूपी एक सुनहरा अवसर मिलता है, जिसका आरंभ केवल सत्संग करने से ही होता है, लेकिन एक साधारण मनुष्य अक्सर सत्संग के प्रति उदासीन बना रहता है यानी सत्संग के प्रति उसकी कोई विशेष रुचि नहीं होती.....सुधीर भाटिया फकीर

5 स्थूल भूत} पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश

 

योग {मनुष्य} भोग》《रोग - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-760)-30-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

भौतिक प्रकृति को शास्त्रों में द्वैत कहा गया है, जैसे दिन के साथ रात है, उसी तरह से सुख के साथ भी दुख छिपा ही रहता है, जो एक साधारण मनुष्य को सुख चखते समय वह दुख विशेष नजर नहीं आता यानी प्रकृति के सुख मात्र एक छलावा ही मानो.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

आरंभ से ही सभी शास्त्रों में शब्दों को कुछ इस प्रकार से रचा गया कि प्रत्येक शब्द के भीतर में ही अर्थ छिपा दिया गया, ताकि हमें शिक्षा-संदेश मिले, जैसे विषयों में यानी भोगों को मर्यादा से अधिक भोगने से विष/जहर/दुख की प्राप्ति होती है.....सुधीर भाटिया फकीर

विषय-भोगों से ग्रस्त

 

धर्म+धर्म+धर्म+धर्म [अर्थ-काम] मोक्ष - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-759)-29-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

कोई भी मनुष्य लाख कोशिशें कर ले, इस अपूर्ण संसार को भी पूर्ण रूप से पाया नहीं जा सकता, जबकि दूसरी ओर मनुष्य लाख नहीं, करोड़ों कोशिशें भी कर ले, परमात्मा को खोया नहीं जा सकता, जबकि परमात्मा तो पूर्ण है, फिर भी एक साधारण मनुष्य सत्संग के अभाव में परमात्मा को याद नहीं करता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

जब मनुष्य को परमात्मा व प्रकृति का यथार्थ ज्ञान-विज्ञान तत्व रुप से समझ में आ जाता है, तब मनुष्य परमात्मा से प्रभावित होता हुआ भौतिक विषय-भोगों के प्रति उसकी सहज ही अरुचि पैदा हो जाती है.....सुधीर भाटिया फकीर

स्तुति और प्रार्थना में अन्तर

 

विवेक-शक्ति } ON/OFF - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-758)-28-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

वेद-शास्त्रों को परमात्मा की वाणी यानी अपौरुषेय कहा गया है, फिर इन्हीं का सरलीकरण करते हुए मायातीत महापुरुषों द्वारा उपनिषद व पुराण लिखे गए। इन सभी शास्त्रों में एक-एक शब्द तौल-तौल कर कहा गया है। इन शब्दों में गहरे अर्थ छिपे रहते हैं, जिसपर निरंतर गहन चिंतन ब्रह्ममुहूर्त में करते रहने से ही विवेक-शक्ति जागृत होती है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

हम सभी मनुष्यों की मृत्यु हर क्षण नजदीक आती जा रही है यानी हमारे पास कर्म करने का समय, ज्ञान लेने व भक्ति करने का भी समय निरंतर कम होता जा रहा है, इसपर हम सभी मनुष्यों को चिन्तन करते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

आत्मा के 3 आवरण

 

सत्य एक-झूठ अनेक - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-757)-27-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

केवल मनुष्य योनि में ही आध्यात्मिक/भौतिक उन्नति की जा सकती है, लेकिन याद रखें, भौतिक उन्नति स्थूल शरीर के मरने के साथ ही समाप्त हो जाती है, जबकि आध्यात्मिक उन्नति मरने के बाद भी सुरक्षित बनी रहती है, फिर भी मनुष्य गलत फैसला कर बैठता है, इसपर चिन्तन करें.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य योनि में ही परमात्मा को जाना-समझा और पाया जा सकता है यानी मनुष्य जीवन में ही आध्यात्मिक उन्नति की जा सकती है, जोकि निरंतर गुरुओं का संग यानी सत्संग करते रहने से ही संभव हो पाता है, अन्यथा नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

नींद पर नियंत्रण

 

"गणतन्त्र दिवस सन्देश"

आप सभी भाई-बहनों को गणतन्त्र दिवस की प्रभात बेला पर "आध्यात्मिक ज्ञानात्मक चैनल" www.youtube.com/c/SudhirBhatiaFAKIR की ओर से बहुत-बहुत शुभकामनायें। हम सभी भाई-बहन अनुशासित, व्यवस्थित व सात्विक जीवन जीते हुए अपने-अपने कर्त्तव्य-कर्मों को विवेकपूर्वक निभायें, ताकि सभी जीवों का सुखमयी जीवन बीते। आपका आध्यात्मिक मित्र सुधीर भाटिया फकीर

दोबारा मनुष्य योनि में जन्म लेने की पात्रता - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-756)-26-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

मनुष्य अपने मिले हुए जीवन में जिस दिशा की ओर अपना अधिक ध्यान लगाता है, फिर एक समय अंतराल के बाद वहीं का ज्ञान रूपी फल अपने आप ही मिलने लगता है, लेकिन मनुष्य की परमात्मा को जानने में कोई विशेष रूचि दिखाई नहीं देती, इसीलिए परमात्मा का ज्ञान-विज्ञान उस मनुष्य को समझ में नहीं आता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य का धार्मिक दुनिया में आरम्भिक प्रवेश कर्मकांडों से जुड़कर ही होता है, भले ही यह कर्मकांड लोभ से किये जायें या भय से, लेकिन 99% लोग यहीं रुके रह जाते हैं, जिससे मनुष्य आगे की आध्यात्मिक यात्रा पर चलने से वंचित रह जाता है। इसपर चिन्तन करें.....सुधीर भाटिया फकीर

सत्संग { संस्कार } कुसंग

 

जीवन जीने की शैली - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-755)-25-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

मनुष्य अपने जीवन में दिन-रात सुखों को भोगने के लिये ही भाग-दौड़ करता रहता है, जबकि परमात्मा को पाने के लिए शारिरीक रुप से भाग-दौड़ नहीं करनी, केवल मन को परमात्मा के चिंतन में लगा कर आनंद की प्राप्ति की जा सकती है, फिर भी मनुष्य गलत निर्णय ले संसार में ही मरते दम तक दुख भोगता रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

एक साधारण मनुष्य अपने जीवन में दिन-रात विषय भोगों के लिये रजोगुण में रहता हुआ भाग-दौड़ ही नहीं करता, अपितु इन विषय-भोगों के लिए ही तमोगुण में गिरता हुआ पाप कर्म करने से भी परहेज नहीं करता.....सुधीर भाटिया फकीर

प्रकृति { मनुष्य } भगवान

 

इन्द्रियों को रोकना (आरम्भ.....?) - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-754)-24-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

जब गीता में ही भगवान श्रीकृष्णजी ने इस संसार को दुखालय नाम से सम्बोधित किया है अर्थात् दुखालय रूपी संसार में रहते हुए हम सभी मनुष्यों को दुख रूपी ताप कम-अधिक मात्रा में अपने-अपने कर्मों के हिसाब से मिलते ही रहते हैं, यही एक सच्चाई है, फिर भी मनुष्य अपनी सात्विक दिनचर्या नहीं बनाता ?.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

सभी रिश्ते जन्म लेने के साथ ही तन के स्तर पर बनते हैं और तन के मरने के साथ ही समाप्त भी हो जाते हैं, जबकि आत्मा का संबंध परमात्मा से होता है, जो अनादि काल से है, इसलिए टूटने का तो प्रश्न ही नहीं उठता.....सुधीर भाटिया फकीर

संसार एक जंजाल

 

मन-बुद्धि} सतोगुण 89%, आत्मा 100% शुद्ध सतोगुण - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-753)-23-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

वास्तव में मनुष्य अपने शरीर की इन्द्रियों से नहीं, अपितु मन और बुद्धि की प्रेरणा से ही कर्म करने को बाध्य होता है। इसलिए मन और बुद्धि को सदा ही परमात्मा के चिंतन में लगाये रखना होगा, ताकि हमारी स्थूल इंद्रियां सदा ही सभी जीवों के कल्याण के लिए कर्म करें, न कि स्वयं के भोग के लिए.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य जीवन पाकर मनुष्य को पशु-वृत्तियों (आहार, मैथुन, निद्रा, भय ) से ऊपर उठकर परमात्मा को जानने की जिज्ञासा करनी ही चाहिए, अन्यथा प्रकृति हमें नया जन्म कर्म, वृत्ति व संस्कार/स्वभाव के अनुसार देने में विवश होती है.....सुधीर भाटिया फकीर

24 तत्वों के पिण्ड की प्रतिदिन 24 घंटों की यात्रा - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-752)-22-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

सभी मनुष्यों को मन से स्वीकार करना ही चाहिए कि वर्तमान जीवन में मिली हुई सभी अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियां यानी मिलने वाले सुख-दुख हमारे द्वारा ही किए गए कर्मों का ही फल हैं, किसी अन्य दूसरे-तीसरे मनुष्य का नहीं और मिले हुए जीवन में अपने कर्तव्यों को प्रसन्नतापूर्वक निभाते हुए परमात्मा का चिन्तन करते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

सर्वप्रथम हम सभी मनुष्यों को अपने मिले हुए जीवन में आध्यात्मिक उन्नति करने के अवसर का पूर्ण लाभ उठाना चाहिए यानी अपने कर्तव्यों को प्रसन्नतापूर्वक निभाने के साथ-साथ परमात्मा का चिन्तन करते हुए सदा ही प्रभु का धन्यवाद/शुकराना भी करते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

आपका आध्यात्मिक मित्र - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-751)-21-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

दुनिया में अक्सर ऐसा देखा गया है कि सामान्य मनुष्यों में परमात्मा को जानने की कोई विशेष जिज्ञासा नहीं होती, हां, कुछ लोग अवश्य ऐसे हैं, जो धर्म की बातें सुनना-पढ़ना पसंद करते हैं और कभी-कभी इस विषय पर प्रश्न भी कर देते हैं, लेकिन उत्तर जानने के लिए नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

भगवान श्रीकृष्णजी ने इस जगत को दुखालय नाम से सम्बोधित किया है। इसीलिए संसार की तुलना सागर से भी की जाती है, क्योंकि सागर में लहरें उठती-गिरती रहती हैं, उसी तरह सँसार में भी हमारे-आपके जीवन में दुख रुपी लहरें आती-जाती रहती हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

अधोगति यानी नीचे की योनियाँ - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-750)-20-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

साधारण परिस्थितियों में अक्सर मनुष्य शिष्टाचार के स्तर पर परमात्मा को याद करता हुआ दिखाई देता है, लेकिन मनुष्य को परमात्मा की सहज रूप से याद नहीं आती, तब ऐसी स्थिति में हमें समझ लेना चाहिए कि अभी तक हमने परमात्मा को यथार्थ रूप से जाना ही नहीं है, जबकि परमात्मा को जानने का एक सरल आरम्भिक उपाय निरंतर सत्संग करते रहना ही है, जिससे अक्सर मनुष्य बचता रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

यह बात शत प्रतिशत सही है कि इस संसार को सही-सही जान लेने पर संसार से वैराग्य होता ही है, जबकि 1000% सत्य कथन से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि संसार से वैराग्य हुए बिना परमात्मा से मनुष्य की प्रीती भी नहीं होती.....सुधीर भाटिया फकीर

श्रद्धा या अन्धविश्वास - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-749)-19-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

प्रकृति के 3 गुणों में सतोगुण, रजोगुण व तमोगुण में भगवान का चिंतन होने मात्र से मन सतयुगी बन जाता है और तमोगुण का चिंतन ही हमारे तन और मन को कलयुग में ले आता है, हम सभी मनुष्यों की दिनचर्या में कोई एक गुण प्रदान रहता है, जो हम स्वयं ही जानते हैं, जबकि रजोगुण अप्रत्यक्ष रूप से व तमोगुण प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य को हानि ही देते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

सन्ध्या-बेला सन्देश

जब-जब मनुष्यों के जीवन में सुख लम्बे समय तक बने रहते हैं, तब-तब इन्सान में अक्सर इंसानियत बने रहने की सम्भावनायें कमजोर होने लगती है हैं। इसलिए हम सभी मनुष्यों को जीवन में मिलने वाले दुखों से भी शिक्षा लेते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

भोग:- सामान्य मनुष्य, वैराग्य के लिए प्रयत्न - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-748)-18-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

सच्चिदानंद भगवान का ही एक पर्यायवाची नाम है। प्रकृति केवल सत्य है, दूसरी ओर जीव/आत्मा सत्य के साथ-साथ चेतन भी है, लेकिन आनंद रहित है, केवल परमात्मा ही आनंद यानी सच्चिदानंद है, इसलिए प्रत्येक आत्मा सदा ही दुख रहित सुख यानी आनंद की प्राप्ति के लिए ही सदा प्रयत्नशील रहती है, जोकि प्रकृति में नहीं है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

कलयुग में अधिकांश मनुष्य स्वभाव से ही रजोगुणी होते हैं, लेकिन मनुष्य योनि में ही सतोगुण में वृद्धि करने का एक अवसर है, जिसका प्रथम व सरल उपाय सत्संग करना ही है, जिससे अक्सर मनुष्य बचता फिरता है.....सुधीर भाटिया फकीर

अपने कर्तव्य अवश्य निभायें, अन्यथा...? - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-747)-17-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

84,00000 योनियो में केवल मनुष्य योनि में ही साधना रुपी पुरुषार्थ करते हुए परमात्मा को जाना-समझा जा सकता है। फिर परमात्मा का ज्ञान-विज्ञान तत्व रुप से समझ आ जाने से परमात्मा से प्रभावित हो मनुष्य की भौतिक विषयों के प्रति सहज ही अरुचि पैदा हो परमात्मा की भक्ति आरंभ हो जाती है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

सभी आत्मायें ही ज्ञानवान हैं, फिर भी सारे का सारा ज्ञान परमात्मा का ही माना जाता है, अतः ज्ञान पर हम अपनी स्वयं की मोहर कभी नहीं लगा सकते, लेकिन मनुष्य प्रकृति के पदार्थों को मर्यादा से अधिक भोगने के कारण अपना ज्ञान आवृत कर बैठता है.....सुधीर भाटिया फकीर

रोटी (धन) - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-746)-16-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

कलयुग में प्राय ऐसा देखा गया है कि एक साधारण मनुष्य के जीवन में सत्संग के अभाव में तन, मन व वाणी के स्तर पर हिंसात्मक प्रवृत्तियां कम-अघिक मात्रा में पाई जाती हैं। इसीलिये हम सभी मनुष्यों को अपने जीवन में दया-प्रेम जैसे गुण स्वभाव में लाने के लिए सदा सत्संग करते रहना होगा.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

जैसे बिना प्रकाश के अन्धकार नहीं जाता, वैसे ही बिना सत्संग किये हमारी अज्ञानता समाप्त नहीं होती। फिर निरंतर सत्संग करते रहने से ही परमात्मा का ज्ञान-विज्ञान समझ में आ पाता है, जो भक्ति का बंद दरवाजा खोल देता है.....सुधीर भाटिया फकीर

वृद्धावस्था, एक थकी हुई स्थिति (सतोगुण की प्रधानता) - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-745)-15-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

कलयुग में एक साधारण मनुष्य की अधिक से अधिक सुखों को भोगने की इच्छा ही मनुष्य को भोग-पदार्थों का संग्रह करने के लिये उकसाती रहती है और पदार्थों का संग्रह करने के दौरान मनुष्य से कब पाप कर्म होने आरंभ हो जाते हैं, मनुष्य को स्वयं भी पता नहीं चलता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य द्वारा किया प्रत्येक शुभ-कर्म मनुष्य को परमात्मा की नजदीकियों का एहसास करवाते हैं, जबकि छोटे से छोटा पाप-कर्म मनुष्य को परमात्मा से दूर करता जाता है। इसी सूत्र को आधार मानकर हम सभी मनुष्य अपनी-अपनी स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

युवावस्था, एक जोश-रोश की स्थिति(रजोगुण + तमोगुण की प्रधानता) - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-744)-14-1-22

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

84,00000 लाख योनियों में केवल मनुष्य योनि ही कर्म-योनि है। शास्त्रों में बार-बार इस बात को बताया गया है कि मनुष्यों को अपने जीवन में क्या-क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना है यानी विधि-निषेध। विधि/पुण्य कर्म करने से सुख और निषेध/पाप कर्म करने से दुख भोगने ही पड़ते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

प्रकृति के किसी भी मनुष्य/जीव को पीड़ित करना, भयभीत करना या धमकाना आदि भी एक प्रकार का पाप कर्म ही हैं। कर्मफल-सिद्धांत के अनुसार भविष्य में ऐसे किये पाप कर्मों का हमें दुख रुपी फल भोगना निश्चित ही होता है.....सुधीर भाटिया फकीर

बचपनवस्था एक अबोध स्थिति (तमोगुण की प्रधानता) -सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-743)-13-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

मनुष्य को अपने जीवन में सभी अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने व्यवहार में इंसानियत अवश्य ही बनाये रखनी चाहिए, क्योंकि व्यवहार में हैवानियत आ जाने मात्र से ही हमारे जीवन में पाप कर्म सहज ही होने लगते हैं, जो मनुष्य की अधोगति का कारण बनते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

निरन्तर सात्विक बुद्धि बने रहने से ही मनुष्य की विवेक-शक्ति जागती है और जब तक मनुष्य की विवेक-शक्ति 100% जाग नहीं जाती, तब तक मनुष्य में कम-अधिक मात्रा में सुख भोगने की भौतिक  भोग-इच्छाएं बनी ही रहती हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

छोटी-ब्रेक (सतोगुण), बड़ी-ब्रेक (विशुद्ध सतोगुण) - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-742)-12-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

कलयुग में संसार यानी दुनिया एक मेले के समान है और मेले की चकाचौंध में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि एक सामान्य मनुष्य विषय-भोगों में ही लिप्त रहता हुआ परमात्मा को भूल जाता है यानी अपने मनुष्य जीवन के मूल लक्ष्य को ही भूल जाता है, इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में सदा सत्संग करते रहना चाहिए, ताकि परमात्मा की कुछ स्मृति अवश्य ही बनी रहे.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

सभी स्थूल इन्द्रियाँ मन के अधीन होती हैं और मन को बुद्धि के अधीन रखा गया है, ताकि मन विषय-भोगों की गलियों में आवारागर्दी करने से बच सके, क्योंकि भोगों में लिप्त मन परमात्मा का चिन्तन कर ही नहीं सकता.....सुधीर भाटिया फकीर

कारण-शरीर की सरकार - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-741)-11-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

परमात्मा = परम + आत्मा, जोकि एक परम सत्ता है। परमात्मा सभी जीवों/मनुष्यों का है, किसी एक व्यक्ति/समुदाय/देश का नहीं है।  परमात्मा सभी जीवों के हितैषी और परम दयालु हैं, फिर भी एक साधारण मनुष्य परमात्मा से जुड़ने की जिज्ञासा नहीं रखता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

कोई भी मनुष्य अपने जीवन में विचारों व कर्मों के आधार पर ही ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनता है, जबकि एक साधारण मनुष्य यह सब जन्म-जाति के आधार पर मानने की भूल कर बैठता है.....सुधीर भाटिया फकीर

BREAKING आध्यात्मिक NEWS का उद्देश्य - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-740)-10-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

स्थूल शरीर के स्तर पर अक्सर मनुष्य समाज में रहने वाले अन्य मनुष्यों से अधिक प्रभावित होता हुए ही अधिकांश कर्म करता रहता है। भले ही ऐसे कर्म शास्त्र विरूद्ध ही क्यों न हों और मनुष्य सत्संग के अभाव में अक्सर इन बातों पर चिंतन ही नहीं करता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

प्रकृति ही परमात्मा की एक चलती-फिरती अदालत है, जहाँ हम मनुष्यों द्वारा किए गए सभी प्रकार के कर्मों-विकर्मों पर प्रकृति की पैनी नजर सदा ही बनी रहती है, जिनका प्रकृति एक समय अंतराल के बाद सुख-दुख रुपी फल दिये बिना छोड़ती भी नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

निर्णय लेने की अवस्थाएँ } तमोगुण }} रजोगुण }}} सतोगुण - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-739)-09-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

मनुष्य द्वारा निरन्तर सत्संग करते रहने से ही एक दिन परमात्मा का विशेष ज्ञान-विज्ञान समझ आने लगता है, तभी मनुष्य को अपने जीवन भर के संग्रहित धन/पदार्थ बेकार नजर आने पर पछतावा भी होता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य द्वारा निरन्तर सत्संग करते रहने से ही एक दिन परमात्मा का विशेष ज्ञान-विज्ञान समझ आने लगता है, तभी मनुष्य को अपने जीवन भर के संग्रहित धन/पदार्थ बेकार नजर आने पर पछतावा भी होता है.....सुधीर भाटिया फकीर

सुखों को चखना यानी दुखों को निमन्त्रण देना - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-738)-08-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

सभी मनुष्यों को अपने जीवन में सतोगुण का अघिक से अधिक संग करते हुए प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त का संग करना चाहिए, ताकि हमारी सात्विक बुद्धि बने और विवेक शक्ति जागृत हो परमात्मा से सहज ही प्रीती हो.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या बेला सन्देश

सभी मनुष्य जन्म के साथ ही एक स्वभाव लेकर आते हैं, फिर उसी स्वभाववश मनुष्य कर्म करने लगता है। अक्सर सत्संग के अभाव में मनुष्य का स्वभाव बिगड़ने लगता है, इसलिए मनुष्य को सत्संग कभी नहीं छोड़ना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

84,00000 योनियो में कर्मफल सिद्घांत केवल मनुष्यों द्वारा किए गए कर्मों-विकर्मों पर ही लागू होता है, अन्य योनियों पर नहीं। इसीलिए भौतिक प्रकृति मनुष्य योनि में किये गये सभी पाप-पुण्य कर्मों का दुख-सुख रूपी फल दिए बिना कभी नहीं छोड़ती, सुख रुपी फलों का त्याग तो सम्भव है, लेकिन दुख रुपी फलों को तो स्वयं ही भोगना पड़ता है.....सुधीर भाटिया फकीर

गुरु का शिष्य के सिर पर हाथ रखना....भावार्थ....समझें - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-737)-07-01-2022

 

काला रंग अन्य सभी रंगों को दबाता है....भावार्थ....समझें - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-736)-06-01-2022

 

सूचना

Since myself is CORONA POSITIVE, my normal activities on FACEBOOK, TWITTER, WHATSAPP, YOUTUBE & on this website will be suspended, until I recover.......सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

भगवान को तत्वरुप से यानी यथार्थ रूप से जानने-समझने के लिए बार-बार ज्ञान रूपी सत्संग करते रहना चाहिए, क्योंकि किये गये सत्संग को प्रकृति का रजोगुण व तमोगुण कमजोर करते रहते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

यथार्थ मन और कलयुगी मन

 

सुरक्षित आध्यात्मिक यात्रा - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-733)-03-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

प्रकृति के सभी भोग-पदार्थों का अंतिम परिवर्तन नाश होना ही होता है, फिर भी मनुष्य अपने मिले हुए  जीवन का अघिकांश समय इन्ही नाशवान पदार्थों को पाने/भोगने के लिए कर्म ही नहीं, पाप कर्म करने से भी परहेज नहीं करता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

प्रकृति के अमर्यादित विषय-भोग ही चेतन आत्मा के प्रकाश को ढक देते हैं, भले ही आत्मा स्वभाव से ही ज्ञानवान है, लेकिन माया के रजोगुणी/तमोगुणी भोगों के दूषित संग से आत्मा का प्रकाश ढक जाता है, जो केवल भगवान की भक्ति करने से ही समाप्त होता है.....सुधीर भाटिया फकीर

आज के इन्सान का स्वभाव

 

भौतिकतावाद यानी अधिक से अधिक भोग - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-732)-02-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

स्थूल शरीर यानी तन कर्मयोग के लिए  ही मिला है, जबकि ज्ञानयोग में सूक्ष्म शरीर यानी मन-बुद्धि को निरंतर लगाये रखने से हो भक्तियोग यानी आत्मा का परमात्मा से सहज ही प्रेम होता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

सभी मनुष्य ही नहीं, चाहे कीट-पतंग, पक्षी-पशु ही क्यों न हो, जन्म से ही सुख चाहते हैं, दुख कोई नहीं चाहता। इसलिए जैसा व्यवहार हम स्वयं के लिए नहीं चाहते, वैसा व्यवहार हमें भूलकर भी अन्य जीवों से नहीं करना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

सीढी के डण्डे 12345 ज्ञान की कक्षायें

 

नववर्ष 2022 सन्देश - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-731)-01-01-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

संसारी विषय-भोगों से अलिप्त होकर ही परमात्मा के सम्मुख हो परमात्मा को जाना जा सकता है, लेकिन मनुष्य संसार का मोह रखते हुए ही परमात्मा को जानने का प्रयास करता है, इसलिए मनुष्य परमात्मा को जाने बिना ही एक दिन यह दुनिया छोड़ जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर