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Showing posts from March, 2022

संध्या-बेला सन्देश

सत्संग के अभाव में मनुष्यों के अधिकांश कर्म सकाम भाव से स्वयं के सुख के लिए अर्थात् रजोगुण में रह कर ही कर्म होते हैं, जबकि निरन्तर सत्संग करते रहने से ही सतोगुणी स्थिति जन्म लेती है, जिसके फलस्वरूप कर्मों में सुधार होता है••••सुधीर भाटिया फकीर

अन्धविश्वास यानी अज्ञानता

 

मनुष्य }एक परीक्षा योनि - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-820)-31-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

प्रकृति के 3 गुणों में सतोगुण ही ज्ञान से ओतप्रोत है, जबकि रजोगुण क्रियात्मक व तमोगुण पदार्थों से संबंधित है। मनुष्य अपने जीवन में जिस गुण का अधिक संग करता है, उस गुण विशेष के लक्षण मनुष्य के स्वभाव/व्यवहार में भी दिखने आरम्भ हो जाते हैं, जैसे सतोगुण का अधिक संग होने मात्र से ही भगवान की स्मृति सहज ही बनी रहती है, अन्यथा ? .....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

परमात्मा ने हम सभी मनुष्यों को 2 पैर, 2 हाथ, 2 आंख, 2 कान आदि प्रदान किये हैं, किन्तु मुँह केवल एक ही प्रदान किया है, लेकिन उस मुँह के 2 कार्य रखकर ज्ञान भी देते हैं, कि इस मुँह से कम खाओ और कम बोलो, वो भी मधुर व अर्थपूर्ण •••सुधीर भाटिया फकीर

कर्मों का लक्ष्य:- सुखों की प्रवृत्ति-दुखों से निवृत्ति

 

सबसे बड़ा भौतिक सुख•••गहरी•••नीन्द - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-819)-30-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

सभी मनुष्यों के स्थूल-शरीर तामसी ही होते हैं, जबकि मनुष्य स्वभाव से तो राजसी है। इसीलिए हम सभी मनुष्यों को सत्संग करते रहना है, ताकि पहले हम सतोगुण में स्थित हों, फिर आध्यात्मिक यात्रा करते-करते विशुद्ध सतोगुणी परमात्मा को प्राप्त करें, जबकि कुसंग मनुष्य की पीछे की ओर धकेलता है••••सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

अक्सर ऐसा देखने में आया है कि अधिकांश 50-60+ उम्र वाले मनुष्य अपने जीवन में सत्सँग की बातों को सुनने/पढ़ने या केवल LIKE करने तक ही सीमित रखते है, उसे अपने व्यवहार में नहीं ला पाते, फलस्वरूप मनुष्य के कर्मों में कोई सुधार नहीं आ पाता.....सुधीर भाटिया फकीर

प्रकृति:- तमोगुण + रजोगुण + सतोगुण

 

आत्मा कभी भी घाटे का सौदा नहीं करती - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-818)-29-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

हम सभी मनुष्यों को विषय-भोगों की आसक्ति कमजोर करने के लिए निरंतर सत्संग करते ही रहना होगा, ताकि हमारी सात्विक बुद्धि बने, क्योंकि मन केवल सात्विक बुद्धि द्वारा ही नियंत्रण में लिया जा सकता है, अन्यथा सच्चाई यह है कि मन इन्द्रियों द्वारा सदा ही विषयों को भोगने की फिराक में ही लगा रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

एक साधारण मनुष्य स्थूल शरीर को ही अधिक महत्व देता है और स्थूल शरीर के सुखों के लिये पुण्य-कर्म ही नहीं, पाप-कर्म भी करने से हिचकता नहीं, फलस्वरूप मनुष्य तन के रिश्तों में ही उलझा रहता है और परमात्मा-आत्मा के सम्बन्ध को समझ नहीं पाता.....सुधीर भाटिया फकीर

स्थूल-शरीर = भोजन, सूक्ष्म-शरीर = भजन

 

स्थूल शरीर एक हथकडी - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-817)-28-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

अक्सर दुनिया को एक मेला शब्द से जोड़ दिया जाता है, क्योंकि मेला कभी भी स्थायी रूप से नहीं रहता अर्थात् मेले की चकाचौंध सदा नहीं रहती। जैसे मेले की चकाचोंध में बच्चा अपने मां-बाप से बिछड़ जाता है, वैसे ही मनुष्य भी आज के कलयुगी भोगों में अपने माता-पिता/परमात्मा से बिछुड़ गया है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

जैसे प्रकाश के अभाव में अन्धकार आ जाता है, उसी तरह ज्ञान के अभाव में मन में अज्ञानता बनी रहती है, जिसे अक्सर मनुष्य स्वीकार नहीं करता, जबकि सच्चाई यह है कि निरन्तर सत्संग करते रहने से ही क्रमश: अज्ञानता समाप्त होने लगती है, अन्यथा नहीं•••सुधीर भाटिया फकीर

स्थूल-शरीर•••••परमात्मा

 

सत्संग《《《प्रयत्नपूर्वक और कुसंग》सहज - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-816)-27-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

84 लाख योनियो में भले ही असंख्य जीव हैं, लेकिन फिर भी सभी शरीरों में रहने वाली आत्माओं की संख्या निश्चित ही है, जिसकी गणना करना सम्भव ही नहीं, लेकिन भगवान की दृष्टि के अनुसार निश्चित है, क्योंकि आत्मा एक नित्य चेतन तत्व है, जिसका जन्म-मरण नहीं होता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

जब तक मनुष्य को जीवन में सुख मिलते रहते हैं, तब तक संसार अपना ही लगता है, लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों आते ही संसारी लोगों की पहचान होने पर संसार एक सपना और परमात्मा अपना लगने लगता है.....सुधीर भाटिया फकीर

पशु-पक्षी:- तामसी, राजसी, सात्विक

 

शुद्ध चेतन आत्मा:- पापात्मा-पुण्यात्मा - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-815)-26-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

लाभ की इच्छा तो धार्मिक मनुष्य के जीवन में भी बनी रहती है, लेकिन धार्मिक मनुष्य मन में लोभ-वृति को नहीं पनपने देता क्योंकि लोभ ही पाप की प्रथम जननी है, जो बाद में क्रोध-वृति को लाकर मनुष्य को तामसी बना पाप-नगरी में गिरा देती है•••सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

प्रकृति के 3 गुणों (सतोगुण, रजोगुण व तमोगुण) में मनुष्य अपने जीवन में जिस गुण का अधिक संग करता है, तब ऐसी स्थिति विशेष में उस गुण विशेष के लक्षण फिर मनुष्य के स्वभाव/व्यवहार में भी दिखने आरम्भ हो जाते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

मनुष्य योनि/शेष योनियाँ:- कर्माशय-संस्कार

 

वृत्तियाँ:- ज्ञानात्मक-क्रियात्मक - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-814)-25-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

एक साधारण मनुष्य अपने स्थूल-शरीर को लोभवश या भयवश जबरदस्ती कहीं भी रोकने को बाध्य करने में सफल हो जाता है, लेकिन मन को नहीं, क्योंकि मन तो अपने बने हुए स्वभाव का गुलाम होता है और अक्सर सत्संग के अभाव में व रजोगुण के प्रभाव से मनुष्य का स्वभाव बिगड़ ही जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य जब अपने जीवन में विषय-भोगों को मर्यादा से अधिक भोगता है, तभी मनुष्य के भीतर आरम्भ में तो प्रमाद रूपी राक्षस जन्म लेता है, लेकिन बाद मे फिर आलस्य और मोह भी आ जाने से मनुष्य तमोगुण की खाई मे कब गिर जाता है, मनुष्य को स्वंय पता भी नहीं चलता....सुधीर भाटिया फकीर

धन एक भगवान या शैतान - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-813)-24-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

आनंद परमात्मा का एक दिव्य गुण है, जबकि हम सभी आत्माएँ चेतन/ज्ञानयुक्त हैं और ज्ञान का स्वरुप भले ही माया के विषय-भोगों में अधिक आसक्त हो जाने पर अस्थाई रूप से आवर्त हो जाता है, जो क्रमश: निरंतर सत्संग करते रहने से ज्ञान क्रमश: अपनी मूल स्थिति में लौटने लगता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

संसार में सभी मनुष्यों की लोभ की स्थिति भले ही प्रत्यक्ष रूप से जग-जाहिर रहती है, जबकि परिवारिक स्तर पर भी मोह-ममता में अप्रत्यक्ष रूप से लेने की ही आशा छिपी रहती है। केवल प्रेम होने पर ही सदा देकर प्रसन्नता होती है, लेकर नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

सत्संग:- जीवन सुधारने का पहला कदम

 

विज्ञापनों को सोच समझकर करें, अन्यथा ? - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-812)-23-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

हमारे प्राचीन समय के ऋषि-मुनियों ने आरंभ से ही शास्त्रों में शब्दों को रचते समय शब्द के भीतर में ही अर्थ छिपा दिये, ताकि हम मनुष्यों को एक शिक्षा-संदेश मिले, जैसे विषयों को मर्यादा से अधिक भोगने से विष यानी हमारे लिये हानिकारक है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

सभी अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों को परमात्मा का दिया हुआ प्रसाद समझ कर मन में सदा सन्तोष व प्रसन्नता बनाये रखें, ताकि जीवन में हम मिले हुए सुखों को भोगने में डूबें नहीं और दूसरी ओर दुखों से लड़ने की शक्ति हमारे भीतर बनी रहे.....सुधीर भाटिया फकीर

तनाव का मूल कारण

 

पाप-कर्म धुलते नहीं, भोगने ही पड़ते हैं - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-811)-22-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

पुरूषार्थ द्वारा अर्जित धन ही सुख-शान्ति प्रदान करता है, जबकि छल-कपट, ठगी, हेरा-फेरी से कमाया गया धन मनुष्य को सदा ही अशान्त बनाये रखता है। इस सत्य को मनुष्य अपने जीवन में जितनी जल्दी स्वीकार कर लेता है, मनुष्य उतने-उतने अंश में सुख-शान्ति प्राप्त करता जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

सभी मनुष्यों को धन मिलने की आशा में ही सुख मिलता है, लेकिन धन मिलने पर सभी मनुष्यों को सुख नहीं मिलता, लेकिन धन के जाने पर सभी मनुष्यों को ही दुख मिलता है.....सुधीर भाटिया फकीर

भविष्यवाणी या सम्भावना (बुद्धि की कुशलता)

 

दुखों की गठरी - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-810)-21-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

अधिकांश मनुष्यों को एकांत में बैठने से ही भय लगता है, जबकि एकांत हमें परमात्मा से जोड़ने में सहायक होता है, जबकि संसारी भीड़ में सम्मिलित होने से मनुष्य के जीवन में अक्सर भौतिक विषयों पर ही चर्चा होने से मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति होने की सम्भावनायें धूमिल पड़ने लगती हैं। इसलिए हम सभी मनुष्यों अपने जीवन में एकान्त में रहने का स्वभाव बनाना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

अक्सर ऐसा माना जाता है कि समाज में एक साधारण मनुष्य की उम्र बढ़ने के साथ-साथ समझ भी बढ़ने लगती हैं, लेकिन निरंतर सत्संग करने वाले मनुष्यों के जीवन में समय के रहते हुए भी समझ बने रहने की सम्भावनायें सदा अधिक बनी रहती हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

गुण-दर्शन} परमात्मा, दोष-दर्शन} प्रकृति

 

"निवेदन-सन्देश"

कृपया ऐसे भाई-बहन मेरे फेसबुक पर "फ्रैंड रिक्वेस्ट" नहीं भेजे, जिन्होंने स्वयं का प्रोफाइल किसी भी कारणवश "लाॅक" किया हुआ है। आपका आध्यात्मिक मित्र  सुधीर भाटिया फकीर www.sudhirbhatiafakir.com  www.youtube.com/c/SudhirBhatiaFAKIR

बुद्धि:- तामसी, राजसी, सात्विक - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-809)-20-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

सभी शास्त्र सभी मनुष्यों को अपने कर्त्तव्य कर्मों को ईमानदारी से निभाने की ही शिक्षा देते हैं, लेकिन मनुष्य उस ज्ञान को सुनने तक ही सीमित रखता है, उसे अपने जीवन के व्यवहार में नहीं लाता। इसीलिए मनुष्य के कर्मों में सुधार नहीं आता, फलस्वरूप परिणाम हम-आपके सामने हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य को श्रद्धापूर्वक गम्भीर मुद्रा में सत्संग गहरे तल पर सुनना चाहिए, ताकि हमारी सोयी हुई विवेक शक्ति जागे, फलस्वरूप परमात्मा के आनंद का रस पीने को मिले, अन्यथा बैमन से सत्संग सुनने पर मनुष्य को रस की प्राप्ति नही होती.....सुधीर भाटिया फकीर

स्थूल-शरीर/मोबाईल हैंडसेट, सूक्ष्म-शरीर/सिमकार्ड

 

स्वर्ग-सुखों का आकर्षण, नरक-दुखों का भय...भावार्थ समझें ? - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-808)-19-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

राजसी बुद्धि सदा संसार प्राप्ति में ही लगाती है और संसार पाने की हौड़ में कब बुद्धि तामसी बन अपराध करवाने लगती है, मनुष्य को स्वंय भी पता नहीं चलता, जबकि परमात्मा को जानने-समझने के लिए मनुष्य को निरन्तर सात्विक बुद्धि में ही अपनी स्थिति यानी अपनी दिनचर्या को अनुशासित व व्यवस्थित रखना होता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

प्रकृति त्रिगुणात्मक है, जिसके फलस्वरूप हमारी बुद्धि भी 3 प्रकार की होती है, सात्विक, राजसी और तामसी। मनुष्य अपने जीवन में जिस गुण का अधिक संग करता है, फिर वैसी ही बुद्धि बनने से हमारा वैसा ही जीवन बनने लगता है.....सुधीर भाटिया फकीर

त्रिविध ताप(दुख):- आध्यात्मिक, भौतिक, दैविक

 

समाधि और योग में अन्तर - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-807)-18-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

आध्यात्मिक शास्त्रों को श्रद्धापूर्वक सुनना या पढ़ना ही सत्सँग है, जोकि केवल मनुष्य योनि में ही सम्भव है, जिसके निरंतर करते रहने से ही भगवान का ज्ञान-विज्ञान समझ में आता है, अन्यथा संसार में यूँ ही आना-जाना बना रहता है। इतनी छोटी सी बात है, जो अक्सर मनुष्य को मरते दम तक समझ में नहीं आती ?.....सुधीर भाटिया फकीर

"होली-सन्देश"

आप सभी भाई-बहनों को "होली" पर्व की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ। सभी पर्वों को मनाने के पीछे हमारा एक ही उद्देश्य होता है कि समाज में रहने वाले सभी मनुष्यों के बीच में प्रेम, भाई-चारा व सौहार्द का वातावरण बना रहे व परमात्मा में हमारी आस्था व प्रीती बढ़े यानी हम मनुष्य अपने जीवन में अधिक सतोगुण व विशुद्ध सतोगुण बढ़ाते हुए अपनी दिनचर्या सात्विक बनायें। इस दिशा में आप सभी भाई-बहनों का "आध्यात्मिक ज्ञानात्मक चैनल +807 वीडियो" www.youtube.com/c/sudhirbhatiaFAKIR व "ज्ञान-सागर" www.sudhirbhatiafakir.com में बहुत-बहुत स्वागत है। आपका आध्यात्मिक मित्र सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

हम सभी मनुष्यों को अपने जीवन में धर्म कमाने का लक्ष्य बनाना चाहिए, न कि धन कमाने का। धन को मात्र एक जीवन चलाने का साधन मानो। धन तो जीते जी भी सदा काम नहीं आता, जबकि धर्म तो मरने के बाद भी हमारा साथ नही छोड़ता.....सुधीर भाटिया फकीर

परमात्मा एक हितैषी

 

परमात्मा बिना कर्म के फल नहीं देते ! - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-806)-17-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

प्रकृति मनुष्य योनि में किये गए सकाम कर्मों के आधार पर हमें फल देती है, जबकि भगवान ने हमें जीवन की कर्म-परीक्षा में नकल करने की भी छूट दे रखी है कि हम शास्त्रों को पढ़कर/सुनकर या समझ कर अपने कर्मों में सुधार ला फेल यानी अधोगति से तो बच ही सकते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य योनि को ही कर्म व साधना योनि कहा गया है, इसीलिये मनुष्य को कर्म करने की स्वतन्त्रता दी गई है और भगवान कभी भी मनुष्य के कर्मक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करते, भले ही अन्दर से शुभ कर्मों को करने की व पाप-कर्मों से बचने की प्रेरणा देते रहते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

मनुष्य जीवन:- प्रारब्ध-पुरूषार्थ

 

सतोगुण एक मेहमान या सदस्य - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-805)-16-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

धन नहीं होने से कम-अघिक दुख मिलते ही हैं, लेकिन धन होने से भी सदा सुख मिलता है, ऐसा भी नहीं है। देखिए, सच्चाई तो यह है कि दुख रहित सुख/आनंद प्रकृति में ही नहीं है, यह तो केवल परमात्मा का दिव्य गुण है, जो परमात्मा को पाने से ही मिलेगा, अन्यथा नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

परमात्मा की प्रकृति रूपी अदालत में न्यायपूर्वक सभी मनुष्यों को कर्मो के आधार पर ही सुख-दुख रुपी फल मिलते हैं। इसलिए हम सभी मनुष्यों को कर्म की बारीकियों को भली-भांति समझ लेना चाहिए......सुधीर भाटिया फकीर

मनुष्य के जीवन में गुणों का प्रभाव

 

खाली हाथ आये थे ! खाली हाथ "ही" जायेंगे ! - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-804)-15-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

जिस तरह प्रकाश के अभाव में अन्धकार तो सहज ही आ जाता है, उसी तरह ज्ञान के अभाव में मनुष्य में अज्ञानता की स्थिति सहज ही बनने लगती है, लेकिन मनुष्य उस अज्ञानता को ही स्वीकार नहीं करता, जिसके फलस्वरूप एक साधारण मनुष्य में सत्संग के प्रति कोई विशेष जिज्ञासा उत्पन्न ही नहीं होती.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य द्वारा श्रद्धापूर्वक निरंतर सत्सँग करते रहने पर ही पूर्ण लाभ मिलता है और यदि मनुष्य मन में भोग-विषयों की कामनायें लेकर सत्सँग करता है, तब ऐसी स्थिति में मनुष्य के जीवन में कोई सकारात्मक परिवर्तन नहीं आ पाता.....सुधीर भाटिया फकीर

वैराग्य की 3 स्थितियाँ:- स्थूल, सूक्ष्म व कारण शरीर

 

मन की स्थिति को परखिये! -सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-803)-14-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

भौतिक-ज्ञान लेने के उपरांत अर्जित धन से सुख-सुविधा-स्वाद आदि पदार्थों को ही खरीदा जा सकता, लेकिन सुख-शान्ति नहीं, जबकि आध्यात्मिक ज्ञान, जो केवल निरन्तर सत्संग करने से ही प्राप्त होता है, ऐसा करने पर ही मनुष्य को सुख-शान्ति मिल सकेगी, अन्यथा नहीं ?.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य के जीवन में पूर्व समय के किये गये पाप-कर्म कब प्रतिकूल परिस्थितियों ले आते हैं, मनुष्य को इसका बोध नहीं रहता, ऐसी स्थिति में किया गया सत्संग ही मनुष्य को सही राह दिखा उन विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकालने में काम आता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संसार:- राग-द्वेष

 

जीवन की दिशा = तमो 》रजो 》सतो 》= दशा - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-802)-13-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

प्रकृति स्वभाव से ही अन्धकारमयी/दुखमयी है, यहाँ के सभी सुख अल्पकालिक व अस्थाई है। स्थाई परम सुख यानी आनन्द परमात्मा को पाने से ही मिलेगा, फिर भी एक साधारण मनुष्य दिन-रात इन्ही भौतिक सुखों को पाने के लिये कर्म ही नहीं, पाप कर्म भी करने से परहेज नहीं करता ?.....सुधीर भाटिया फकीर

सत्संग में रूचि या घुटन

 

संध्या-बेला सन्देश

सभी मनुष्यों के स्थूल-शरीर साधारणत 6-8-घंटे की नींद लेने के उपरांत जाग ही जाते हैं, लेकिन हम मनुष्यों के मन परमात्मा के प्रति अनेकों जन्मों से सोये हुए हैं, जो निरंतर सत्संग करते रहने से ही क्रमश: जागना आरम्भ करते हैं, अन्यथा नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

सत्संग:- OUT - NOT OUT - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-801)-12-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

एक साधारण मनुष्य के जीवन में सत्संग के अतिरिक्त होने वाला सभी प्रकार का संग कुसंग ही माना जाता है, भले ही रजोगुण का संग अप्रत्यक्ष कुसंग है और तमोगुण का संग प्रत्यक्ष कुसंग है, जो कब कितने पाप-कर्म करवा लेता है, मनुष्य को स्वयं भी पता नहीं चलता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

एक साधारण मनुष्य की आध्यात्मिक ज्ञान को जानने की अधिक जिज्ञासा नहीं होती, भले ही कुछ लोग आध्यात्मिक ज्ञान पढ़-सुन कर पसन्द तो कर लेते हैं, लेकिन बाद में इसपर कोई चिंतन, मनन या शोध नहीं करते, फलस्वरूप जीवन में ?.....सुधीर भाटिया फकीर

जड़/दृश्य - चेतन/दृष्टा

 

"आभार-सन्देश"

                            "आभार-सन्देश" आप सभी भाई-बहनो के उत्साहपूर्ण सहयोग से व परमात्मा की कृपा से आज के ब्रह्ममुहूर्त में 800वीं वीडियो "योगाभ्यास:- तन, मन, आत्मा" www.youtube.com/c/SudhirBhatiaFAKIR पर प्रसारित कर दी गई है। आप सभी भाई-बहनो का बहुत-बहुत  धन्यवाद। आपका आध्यात्मिक मित्र  सुधीर भाटिया फकीर

योगाभ्यास :- तन, मन, आत्मा - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-800)-11-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

सृष्टि के आरम्भ से ही वेदों द्वारा ज्ञान प्रदान किया जाता है, जिसे किसी ने भी लिखा नहीं है। इसीलिए इसे अपौरुषेय भी कहा गया है। वेदों में ही बताया गया है, कि मनुष्य को अपने जीवन में क्या-क्या करना चाहिए अर्थात् यह करो और यह मत करो, यानी कि विधि-विधान द्वारा कर्म होने से ही सुख की प्राप्ति होती है और निषेध कर्म करने से भविष्य में दुख की प्राप्ति अवश्य ही होती है. इसलिए हमारा कोई भी कर्म प्रकृति के किसी भी जीव के हित के विरुद्ध नहीं होना चाहिये.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

भौतिक प्रकृति के अमर्यादित विषय-भोग ही मनुष्य के रोगों का एक कारण हैं और परमात्मा एक डाक्टर हैं, जो इन रोगों के इलाज के लिए अनादि काल से हम मनुष्यों को एक ही दवाई लिखते आ रहे हैं। इस राम-बाण रुपी दवाई का नाम ही "सत्सँग" है.....सुधीर भाटिया फकीर

मनुष्य के जीवन का E C G

 

"मौत" एक सच्चाई, आज मेरी, कल तेरी...बारी है - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-799)-10-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

जैसे जल का अपना स्वभाव शीतलता है, लेकिन अग्नि के संपर्क में आने से (चाय...) उसमें उबाल आ जाता है। इसी तरह मनुष्य के स्वभाव में सात्विकता सहज ही बनी रहती है, लेकिन सत्संग के अभाव में कुसंग सहज ही होने से मनुष्य का स्वभाव बिगड़ने लगता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

भौतिक प्रकृति मनुष्य योनि में ही किए गए सकाम कर्मों के आधार पर नंबर/फल देती है, जबकि भगवान निष्काम कर्म, आध्यात्मिक ज्ञान व भक्ति के आधार पर ही नंबर/कृपा करते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

ज्ञान } स्वभाव }} व्यवहार - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-798)-09-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

संसार के हम सभी मनुष्य निश्चित सांसें लेकर ही गर्भ में जन्म लेते हैं यानी हर साँस के साथ हमारा-आपका मिला हुआ जीवन छोटा होता जाता है यानी सत्संग करने का समय भी हमारे हाथ से फिसलता जाता है, क्योंकि केवल मनुष्य योनि में ही सत्संग/साधना करने का अवसर मिलता है, अन्य योनियों में नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

व्यक्तिगत/पारिवारिक सुख पाने के लिए जितने भी पुण्य-कर्म किये जाते हैं, ऐसे किये गये कर्मों से कोई आध्यात्मिक उन्नति नहीं होती, इसीलिए समाज हित को ध्यान में रखते हुए अर्थात् यथासम्भव निष्काम भाव से ही कर्म करने चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

संसार:- सतोगुण/तैरना, रजोगुण/बहना, तमोगुण/डूबना

 

अहँकार-अहंकार - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-797)-08-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

एक साधारण  मनुष्य को निरंतर सत्संग करते रहने से जब भगवान का ज्ञान-विज्ञान समझ में आ ह्रदय में स्थाई रूप से टिक जाता है, तब जीवन भर के संग्रह किए हुए धन/पदार्थ बेकार नजर आने लगते हैं अर्थात् जीवन में की गई गल्तियों का पछतावा भी होने लगता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

जीवन में निरंतर सत्संग करते रहने का अभ्यास बने रहने से ही मन में सतोगुण की ज्योत जलने लगती है, जिसके फलस्वरूप विषय-भोगों की वासनायें मरने लगती है और परमात्मा से प्रीति होने लगती है.....सुधीर भाटिया फकीर

आत्मा का प्रायोजन

 

धन और समय का सदुपयोग - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-796)-07-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

अपने जीवन में अपनी आवश्यकताओं को कभी भी इच्छा मत बनने दो, अन्यथा यह इच्छाएं ही मनुष्य में लोभ, संग्रहवृत्ति पैदा कर, कब उल्टे-सीधे काम करने को बाध्य कर पाप- कर्म करवाने लगती हैं, मनुष्य को स्वंय भी पता नहीं चलता.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

कलयुग में अधिकांश मनुष्य भौतिक प्रकृति के भोगों को ही भोगने की इच्छा रखते हैं, न कि परमात्मा के बारे में उनकी जानने की कोई जिज्ञासा होती है। सँसार में केवल गिनती के ही कुछ लोग होते हैं, जो परमात्मा को तत्व रुप से जानने-समझने व जुड़ने की जिज्ञासा रखते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

आध्यात्मिक ज्ञान और विज्ञान

 

स्थूल-शरीर मात्र एक छिलका है और रस...? - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-795)-06-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

अक्सर सत्संग के अभाव में एक साधारण मनुष्य अपने जीवन में मरते दम तक कितने ही ऐसे पाप-कर्म स्वयं भी करता रहता है व अन्य मनुष्यों से भी करवाता रहता है, जिनका उसने अस्थाई सुख भोग भी नहीं लेना होता, लेकिन ऐसे सभी पाप-कर्म बड़े भविष्य में भी हमें बार-बार दुख अवश्य देते रहते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

कर्म प्रकृति रूपी मिट्टी में बोये गए बीजों के समान है, जो दिनों, महीनों, सालों या अगले जन्म/जन्मों में यानी एक समय अंतराल के बाद पक जाने से सुख-दुख रुपी फल अनुकूल व प्रतिकूल परिस्थितियों के रुप में हम मनुष्यों को मिलते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

प्रकृति } विकृति , कारण } कार्य

 

क्या आपका अगला जन्म मनुष्य योनि में सुनिश्चित है ? - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-794)-05-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है कि केवल मनुष्य योनि में ही किये हुए पाप-पुण्य कर्मों का कर्माशय बनता है। पुण्य-कर्मों के सुख रुपी फलों का तो त्याग किया जा सकता है, लेकिन पाप-कर्मों के दुख रुपी फलों को स्वयं को ही भोगना पड़ता है। इसपर बार-बार चिन्तन करते हुए पाप-कर्मों से अवश्य ही बचना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

सभी मनुष्यों के मन के 5 विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार बिना सत्संग किए नियंत्रण में नहीं आ सकते। यह विकार जितने अधिक प्रभावशाली होते जाते हैं, उतने ही मनुष्य के पाप-कर्म बढ़ते जाते हैं, जो अन्तत: मनुष्य के पतन का कारण बनते हैं....सुधीर भाटिया फकीर

सूर्य की किरणें-ज्ञान की किरणें

 

ॐ भगवान:- प्रकृति/तमो + रजो + सतो, आत्मा/बद्ध-मुक्त - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-793)-04-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

जैसे संसार में सभी मनुष्य एक दूसरे की टांग खींचते हैं, अपनी बात रखना चाहते हैं, अपना ही ढोल पीटना चाहते हैं, वैसे ही स्थितियाँ अक्सर ससंद में भी अपनी सत्ता बनाये रखने के लिए देखी जाती हैं, जबकि परमात्मा की सत्ता में रहने मात्र से ही हम सभी मनुष्यों के साथ-साथ प्रकृति के अन्य जीवों का भी कल्याण होने लगता है....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

संसार में हम अपने बच्चों की बुद्धि का विकास करने के लिए तो उन्हें स्कूल-कॉलेज में भेज देते हैं, जबकि परमात्मा को जानने-समझने और पाने के लिए विवेक-शक्ति चाहिए, जो सत्संग करने से ही जागृत होती है, वहाँ तो हम स्वयं ही कम जाते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

ब्रह्ममुहूर्त:- सूर्योदय से पूर्व के 2:40 मिनट का समय

 

लिंग शरीर = सूक्ष्म शरीर + कारण शरीर = सूक्ष्म शरीर - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-792)-03-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

जिस तरह से यातायात के नियम सभी वाहन-चालकों पर लागू होते हैं, उसी तरह से सभी मनुष्यों द्वारा किए गए पाप-पुण्य कर्मों पर कर्मफल सिद्धांत लागू होता है। यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वाले भले ही बच जायें, लेकिन कर्मफल सिद्धान्त से आज तक कोई मनुष्य नहीं बच सका यानी पाप-कर्मों का दण्ड भोगना ही पड़ता है.....सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

धन उतना ही कमायें कि तन की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके, अन्यथा अधिक धन कब हमारे मन में घुस जाता है, हमें स्वयं को भी पता नहीं चलता, तब ऐसी स्थिति में अधिक धन ही हमें अनर्थ की खाई में गिरा देता है.....सुधीर भाटिया फकीर

मनुष्य जीवन बहुत ही अनमोल है।

 

ज्ञान का स्तर बदलते ही सँसार बदल जाता है - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-791)-02-03-2022

 

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

वर्तमान समय में अधिकांश लोगों की आध्यात्मिक ज्ञान को जानने की अधिक जिज्ञासा नहीं होती, जबकि एक साधारण मनुष्य सिद्धियों/चमत्कार से जल्दी प्रभावित होता है। भगवान को जानने-समझने के लिये हमें सतोगुण का अधिक से अधिक संग करना होगा यानी जीवन में निरन्तर सत्संग की स्थिति बनाये रखनी होगी...... सुधीर भाटिया फकीर

संध्या-बेला सन्देश

आत्मा का परमात्मा से एक सजातीय संबंध है। प्रत्येक स्थूल शरीर के भीतर परमात्मा आत्मा के सखा/मित्र रुप में रहते हैं। हम चाह कर भी परमात्मा से अपना सम्बन्ध समाप्त नहीं कर सकते, लेकिन उसे भुला सकतें हैं, जो वर्तमान समय में दिख ही रहा है.....सुधीर भाटिया फकीर

प्रथम दृष्टि-संसार, दूरदृष्टि-परमात्मा

 

सतोगुण एक ज्ञानात्मक स्थिति - सुधीर भाटिया फकीर-(कक्षा-790)-01-03-2022

 

शिवरात्रि सन्देश

आप सभी भाई-बहनों को शिवरात्रि पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनायें। भारत पर्वों का ही देश माना जाता है। यह सभी पर्व हम सभी भाई-बहनों को रजोगुण (संसार) से सतोगुण की ओर ले जाते हुए परमात्मा से जुड़ने का ज्ञान-सन्देश देते हैं। परमात्मा की सम्मुखता बढ़ाने के लिए आप सभी भाई-बहनों का "आध्यात्मिक ज्ञानात्मक चैनल" (+790 वीडियो) में भी बहुत-बहुत स्वागत है। आपका आध्यात्मिक मित्र  सुधीर भाटिया फकीर

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

कलयुग में अधिकांश मनुष्य दुख, चिंता और अशांति में ही अपना जीवन बिता रहे हैं। शास्त्रों में इसका मूल कारण अज्ञानता बताया गया है और अज्ञानता मिटाने का उपाय सत्संग करना है यानी मनुष्य को अपने जीवन में निरन्तर सत्संग करते रहने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। इसलिए इस सत्य को स्वीकार कर लेने में ही समझदारी है.....सुधीर भाटिया फकीर